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Nawada News : 2 लाख 19 हजार आहुतियां पूरा करने के लिए गोवर्धन मंदिर में मंत्रों का जाप जारी

 


 2 लाख 19 हजार आहुतियां पूरा करने के लिए गोवर्धन मंदिर में मंत्रों का जाप जारी

आस्था का महाकुंभ बना गोवर्धन मंदिर का यज्ञशाला, परिक्रमा के लिए श्रद्धालुओं की उमड़ रही भीड़

नवादा लाइव नेटवर्क।

 आस्था का महाकुंभ बना गोवर्धन मंदिर में यज्ञशाला की परिक्रमा के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं । हवनकुंड की अग्निशिखा के साथ उठते हवनीय सामग्री के अलौकिक सुगन्ध और धर्म शास्त्रों के ऋचाओं की ध्वनिप्रवाह से दिकदिगंत में देवताओं के आगमन का संकेत दे रहा है। 

श्री लक्ष्मण किलाधीश महंथ मैथली रमण शरण जी महाराज के पावन सान्निध्य में नौ दिवसीय समागम के चौथे दिन आज प्रातः 8 बजे से  यज्ञशाला का दैनिक विधान शुरू किया गया। नवनिर्मित मंदिरों में देवी देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व यज्ञाचार्यों ने मन्त्रों का विधिवत जाप किया और सभी हवनकुंडों में आहुतियां समर्पित की गई। यज्ञाचार्य गौरव शुक्ल ने बताया कि 16 स्तंभों का पूजन योगिनी मंडल , हरिहरमण्डल लक्ष्मी, सरस्वती, काली आदि का पूजन तथा ब्रह्मा जी का आह्वान किया गया।

 इस दौरान 2 लाख 19 हजार आहुतियां पूरा करने के लिए मंत्रो का जाप किया जा रहा है। श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए महायज्ञ का यजमान बनी विधायक विभा देवी ने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि यज्ञशाला से लेकर कथा मंडप और रासलीला पांडाल तक श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होने पाये। खासकर पेयजल , साफ सफाई और  टॉयलेट आदि की व्यवस्था नियमित रखने का निर्देश अपने कार्यकर्ताओं को दिया। मंदिर समिति के सचिव महेंद्र यादव यजमान रहते हुए श्रद्धालुओं की सुविधा का विशेष ख्याल रखे हुए हैं और संपूर्ण व्यवस्था की निगरानी समर्पित कार्यकर्ताओं के माध्यम से कर रहे हैं।


संसार सविकल्प चित्त का साक्षात् रूप है :- आचार्य राधेश्याम शास्त्री

आज श्री हरिहर महायज्ञ के चौथे दिन अयोध्या से आये कथावाचक आचार्य राधेश्याम शास्त्री ने श्रद्धालुओं को सत्य की साधना से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि सत्य पर डटे रहना धर्म है किन्तु उसमें खो जाना परम धर्म है। ये संसार सविकल्प चित्त का साक्षात् रूप है जबकि सत्य निर्विकल्प चित्त का साक्षात् रूप है। उन्होंने उपदेश की सार्थकता को सिद्ध करते हुए कहा कि प्रकाश का दर्शन के लिए चक्षु चाहिए। ज्ञान चक्षु में ही उपदेश की सार्थकता है। कथावाचक ने आज महात्मा विदुर , भक्त ध्रुव और भगवान शिव के रोचक आख्यानों के माध्यम से श्रोताओं को तीन घण्टे तक हजारों श्रद्धालुओं को किसी तपस्वी की भांति एकाग्रचित्त किये रखा।


रासलीला में भगवान के दस अवतारों का एक साथ साक्षात् दर्शन, कृष्ण और मीरा के अद्भुत प्रेम ने लिया साकार रूप

   श्री हरिहर महायज्ञ के चौथे दिन रासलीला रंगमंच पर मीरा की भक्ति छाई रही। वंदना , रास , श्रृंगार के बाद लीला का स्वरूप मीरा के नाम रही। राजभवन से लेकर संत समाज तक अपनी कृष्णभक्ति सिद्ध करने वाली मीरा का पूर्ण परिचय वृन्दावन के कलाकारों ने दिया। वृन्दावन के सुविख्यात ब्यास आचार्य हरेकृष्ण शास्त्री और आचार्य भवेश जी के सुमधुर कंठ से जहां खचाखच भरे पांडाल में श्रद्धालुओ के श्रवण तन्त्र तृप्त हुए वहीँ भगवान के भिन्न भिन्न लीलाओं को देखकर ज्ञान चक्षु को भी तृप्ति मिली। इसके पहले हजारों श्रद्धालुओं ने बाल कृष्ण के माटी खाने , गोपियों के साथ मस्ती करने , मैया यशोदा को विराट रूप दिखाने , विभिन्न अवतारों में दुराचारियों का बध करने जैसे प्रसंग का भरपूर आनंद लिया।

























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