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Nawada News: धावक अच्छे थे, खूब लगाई दौड़ लेकिन फिनिश लाइन पर चूके, संदर्भ नवादा डीएम यशपाल मीणा

धावक अच्छे थे, खूब लगाई दौड़ लेकिन फिनिश लाइन पर चूके, संदर्भ नवादा डीएम यशपाल मीणा

नवादा लाइव नेटवर्क।

नवादा के डीएम यशपाल मीणा अब वैशाली के डीएम होंगे। आज-कल यहां से कूच कर जाएंगे। नव पदस्थापन वाले जिले के लोगों को भी इनके आगमन का इंतजार होगा। दो वर्षों से ज्यादा का कार्यकाल नवादा में रहा। इसे रूटिन ट्रांसफर कह सकते हैं। डीएम के रूप में नवादा जिले में इनकी पहली पोस्टिंग थी। 2020 का शुरूआती साल था। कार्यकाल में कई परेशानियों को झेला। पदभार संभालने के कुछ अंतराल बाद ही विश्वव्यापी कोविड महामरी शुरू हो गई। नवादा भी बुरी तरह से चपेट में आया। आम लोगों की सेवा करते-करते खुद भी गंभीर रूप से बीमार हुए। पटना एम्स में कर्द दिनों तक इलाज चला। कार्यकाल का लंबा वक्त कोरोना से ही निपटने में बीता। इसी दौरान 2020 के ही अक्टूबर माह में विधानसभा और 2021 के नवंबर-दिसंबर माह में पंचायत निर्वाचन और नए साल यानि 2022 में एमएलसी का चुनाव शांतिपूर्ण व सफलता पूर्वक कराया।

यशपाल मीणा को जहां तक मैनें समझा, उसमें कहा जा सकता है कि मेहनती व कर्तव्य के प्रति इमानदार थे। चाल-ढाल, पहनवा-ओढ़ावा में पूर्णतया सादगी दिखती थी। यूं कहें सादगी पसंद थे। फिजिकली वर्क खूब किया करते थे। काफी समय फिल्ड में देते थे। विकास कार्यों का मसला हो या फिर विधि व्यवस्था का खुद दौड़ लगाते रहते थे। इसका असर साकारात्मक होता था। किसी जिले के डीएम-एसपी अगर खुद क्षेत्र में लगातार दिखते रहें तो इसके नतीजे हमेशा बेहतर होते हैं। बंद कमरे का बादशाह बहुत दूर तक नहीं देख सकता।

लेकिन, इनके समक्ष भी कुछ दिक्कतें रही। मेहनत का वह नीतजा सामने नहीं आता था जो आना चाहिए था। खूब दौड़ लगाई, सही दिशा लगाई लेकिन फिनिश लाइन तक पहुंचने के पूर्व ही टांग खिंचाई हो गई। वजहों की बात करें तो एक ये कि क्रप्ट सिस्टम। मातहतों की कामचोरी। दलाली संस्कृति से घिरा होना, आदि-आदि।

 अब, नवादा से काफी कुछ अनुभव लेकर नए स्थान को जा रहे हैं। उम्मीद है कि खामियों को खुद पहचानेंगे और उसे दूर करेंगे। ऐसा किया तो काफी उंचाईयों तक जाएंगे। लंबा सफर तय करना है। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, यह सभी जान रहे थे कि नवादा में उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है। कभी भी ताबदला हो सकता है। वे खुद भी इसे समझ रहे होंगे। लेकिन, ऐसा क्यों और कैसे हो गया कि कई ओर से मातहतों ने ही एक साथ माेर्चा खोल दिया। अंत समय के कुछ दिनों में जो कुछ भी हुआ शायद कम अफसरों के साथ होता होगा। हालांकि, पब्लिक का कमेंट सोशल मीडिया में डीएम के पक्ष में जाना उनके आत्मबल को बढ़ाया होगा।

हमें याद है कि साल 2006 का समय। उस वक्त पंकज कुमार यहां के डीएम हुआ करते थे। उनके समय में रजौली के एसडीओ अजय कुमार हुआ करते थे। तब के एसडीओ काफी सिनियर अधिकारी होते थे। डीएम-एसडीएम के बीच काफी कुछ हुआ था। कई मुद्दों पर तकरार था। जिले के अन्य अधिकारी दो हिस्सों में बंट गए थे। उनका कार्यकाल भी विवादों से भरा रहा था। तब नए नवेले सीएम बने नीतीश कुमार की आइटीआइ परिसर में हुई सभा में पब्लिक ने इतना शोर मचाया था कि डीएम का मंच से संबोधन किसी प्रकार हो पाया था। दिवेश सेहरा का कार्यकाल भी विवादों में रहा। उनके समय में सीएम की सभा जो कि हरिश्चंद्र स्टेडियम में हुई थी जूते-चप्पल उछाले गए थे। इन्हें तो शुरूआत के कार्यकाल में ही एसडीओ सदर अन्नु कुमार के तबादले को लेकर ट्रोल होना पड़ा था। विधायक को कोटा जाने के लिए पास निर्गत करने का मामला था। तब यहां के लोग एसडीओ के पक्ष में खड़े हो गए थे। स्थानीय बिहार प्रशासनिक सेवा संघ के प्रतिकार का सामना करना पड़ा था। 


खैर, जो हुआ सो हुआ, नवादा के लोगों की भावना इनके साथ है। सभी उज्वल भविष्य की कामना कर रहे हैं। हम भी उम्मीद करते हैं कि नए कार्यस्थल पर उन महाभारत कराने वाले सलाहकारों से थोड़ा सतर्क रहेंगे।

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