Nawada News : नरहट पीएचसी में विवाद के बाद तलब हुए प्रभारी और सभी डॉक्टर, जांच को गठित की गई है कमेटी
विवादों में घिरे नरहट पीएचसी के प्राभारी डॉ राम कुमार |
नरहट पीएचसी में विवाद के बाद तलब हुए प्रभारी और सभी डॉक्टर, जांच को गठित की गई है कमेटी
नवादा लाइव नेटवर्क।
नवादा जिले के नरहट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र(phc) में प्रभारी डॉ रामकुमार और चिकित्सकों के बीच छिड़ी जंग का पटाक्षेप करने के लिए 20 जुलाई को सभी डॉक्टर नवादा तलब किए गए हैं। मामले की जांच के लिए सिविल सर्जन डॉ निर्मला कुमारी के स्तर से 4 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई है। कमेटी के समक्ष प्रभारी सहित सभी चिकित्सकों को उपस्थित रहने को कहा गया है। 2:30 बजे का समय निर्धारित किया गया है। सिर्फ 2-8 बजे तक रोस्टर के अनुसार ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक को इससे अलग रखा गया है। वहां के लिपिक को भी सभी कागजातों के साथ उपस्थित रहने को कहा गया है।
जांच कमेटी जिला भेक्टर बॉर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ वीरेंद्र कुमार के नेतृत्व में गठित किया गया है। जिसमें डॉ बीबी सिंह, सहायक अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी(गैर संचारी रोग), प्रभारी उपाधीक्षक सदर अस्पताल डॉ अजय कुमार और जिला स्वास्थ्य समिति के कार्यक्रम प्रबंधक अमित कुमार को शामिल किया गया है। जिला भेक्टर बॉर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ वीरेंद्र कुमार के कार्यालय कक्ष में सुनवाई होगी।
उल्लेखनीय है कि प्रभारी चिकित्सक के खिलाफ नरहट पीएचसी के चिकित्सकों ने सामूहिक रूप से डीएम और सिविल सर्जन को शिकायत सौंपकर अमर्यादित आचरण सहित कई गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद प्रभारी ने भी सिविल सर्जन को पत्र लिखकर रोस्टर के अनुसार ड्यूटी नहीं करने के आरोप लगाए थे। अब दोनों पक्षों की शिकायतों पर जांच के लिए कमेटी गठित की गई है।
जांच कमेटी गठित होने के बाद प्रभारी और चिकित्सकों के बीच का विवाद और गहराने की संभावना बढ़ गई है। एक चिकित्सक ने कहा कि जांच का सामना तो करेंगे ही, लेकिन जरूरी है कि अनियमित और गैरकानूनी तरीके से प्रतिनियुक्त प्रभारी की प्रतिनियुक्ति को रद किया जाए।
सरकार का कई पत्र सिविल सर्जन के नाम जारी है कि विभाग द्वारा स्थान विशेष पर तैनात चिकित्सकों का तबादला और प्रतिनियुक्ति नहीं कर सकते हैं, तो नरहट में ऐसा कैसे किया गया है। प्रतिनियुक्ति ही नहीं कि गई बल्कि प्रभारी बनाकर वित्तीय प्रभार भी दे दिया गया है। जो इतने कृपापात्र हो सकते हैं, उन्हें बचाने के लिए जांच के नाम पर खानापूर्ति हो सकती है। यह भी कहा कि डॉक्टरों की शिकायत की खबर मीडिया में आने के बाद बैकडेटिंग कर प्रभारी का शिकायत लिया गया और जांच कमेटिन
बना दी गई।
जांच कमेटी में जिला कार्यक्रम प्रबंधक को शामिल किये जाने पर भी आपत्ति है। कहा कि राजपत्रित कर्मचारी पर आरोपों की जांच के लिए गठित टीम में गैर राजपत्रित कर्मी को शामिल किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
बहरहाल, जो स्थिति बन रही है, उसमें जांच कमेटी गठित होने के बाद भी रार कम होता नहीं दिख रहा है।
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