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Helth News : फाइलेरिया को रोकना जरूरी, रोगियों का पता लगाने को प्रखंडों में होगा नाइट ब्लड सर्वे

  


फाइलेरिया को रोकना जरूरी, रोगियों का पता लगाने को प्रखंडों में होगा नाइट ब्लड सर्वे

हाथीपांव गंभीर बीमारी, फाइलेरिया के कारण होता है रोग

नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से ले देखभाल की जानकारी 

नवादा लाइव नेटवर्क।

नवादा जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं। इसे लेकर प्रखंड स्तर पर नाइट ब्लड सर्वे का काम भी किया जायेगा। इस संबंध में फाइलेरिया विभाग के राज्य कार्यक्रम अधिकारी ने जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज पदाधिकारी को पत्र लिख कर आवश्यक  निर्देश दिये हैं। निर्देश में कहा गया है कि नेशनल सेंटर फाॅर वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल की गाइडलाइन के आधार पर राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान कार्यक्रम के तहत नाइट ब्लड सर्वे का काम प्रखंड स्तर पर किया जाये। 

नाइट ब्लड सर्वे की गतिविधि का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर को जानना है। इस संबंध में पूर्व में राज्य स्तरीय बैठक की जा चुकी है। पटना में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन 23 अगस्त को हुआ। जिसमें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण विभाग के डॉक्टर तथा स्वास्थ्यकर्मी शामिल हुए।

 नाइट ब्लड सर्वे के तहत फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर वहां रात में लोगों के रक्त के नमूने लिये जाते हैं। इसे प्रयोगशाला भेजा जाता है और रक्त में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जाता है। फाइलेरिया का परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं, इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट पता चल पाता है। तब फाइलेरिया के संभावित मरीज का समुचित इलाज किया जा सकता है।

फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आफताब कलीम ने बताया फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में आता है। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से बचाव के लिए समय समय पर सरकार द्वारा  सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है, जिसमें आशा कार्यकर्ता घर घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाते हैं।

हाथीपांव होने पर देखभाल जरूरी : 

उन्होंने बताया फाइलेरिया के कारण हाथीपांव हो जाता है। हाथीपांव होने पर उसे चोट या जख्म से बचाना जरूरी है। इसके लिए एमएमडीपी किट दिया जाता है। हाथीपांव के पीड़ित लोग अपने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाकर चिकित्सक से इसकी देखभाल की जानकारी ले सकते हैं।

हाथीपांव के शिकार लोगों के लिए एमएमडीपी किट दिये जाते हैं। इस किट में हाथीपांव की देखभाल तथा साफ सफाई करने के लिए आवश्यक दवाईयां तथा अन्य वस्तु होते हैं। देखभाल और उपचार की जानकारी लेकर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। फाइलेरिया मरीजों के लिए रोग प्रबंधन में एमएमडीपी किट काफी उपयोगी है।















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