Crime News : फर्जी इंजरी रिपोर्ट देने के आरोपों में घिरे सदर अस्पताल नवादा के डॉक्टर, सिविल सर्जन ने बैठाई जांच, पुलिस का झोल अलग से...
फर्जी इंजरी रिपोर्ट देने के आरोपों में घिरे सदर अस्पताल नवादा के डॉक्टर, सिविल सर्जन ने बैठाई जांच, पुलिस का झोल अलग से...
नवादा लाइव नेटवर्क।
नवादा के एक डॉक्टर संजीत कुमार कोई 6 माह से जेल में हैं, दूसरे डॉक्टर धनंजय कुमार इतने ही माह से फरार चल रहे हैं। दोनों का जुर्म है गलत जख्म प्रतिवेदन देना। वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति के साथ हुई मारपीट का गलत इंजरी रिपोर्ट देने में दोनों चिकित्सक फंसे थे। अभी यह मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और फर्जी इंजरी रिपोर्ट में फर्जीनामा में डॉक्टर फंसते दिख रहे हैं।
आइए जानिए क्या है पूरा मामला
घटना 6 दिसंबर 2022 की है। नवादा जिले के मुफस्सिल थाना इलाके के पकड़िया गांव के पिंटू सिंह पिता विद्याधर जख्मी हाल में सदर अस्पताल नवादा में इलाज के लिए पहुंचे थे। जहां ड्यूटी पर रहे चिकित्सक डॉ मनोज कुमार द्वारा जख्मी का इलाज किया गया था। उस वक्त सुबह के 6 बजकर 10 मिनट हो रहा था। चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार के बाद सीटी स्कैन के लिए मरीज को बीम्स पावापुरी रेफर कर दिया गया था।
मरीज को ले जाया गया बीम्स
नवादा से रेफर मरीज को एंबुलेंस से बीम्स पावापुरी ले जाया गया था। सुबह के 8 बजकर 57 मिनट पर मरीज को बीम्स पावापुरी में भर्ती कराया गया था।
इंजरी रिपोर्ट के लिए किया गया फर्जीनमा
इधर, इंजरी रिपोर्ट जब सामने आया तो एक नया किस्सा सामने आया। दरअसल, इंजरी रिपोर्ट डॉ नीरज कुमार का था। कायदे से यह रिपोर्ट डॉ मनोज कुमार का होना चाहिए था। मामले की जांच पड़ताल हुई तो एक बड़ा झोल सामने आया। सदर अस्पताल के ओडी रजिस्टर में जख्मी पिंटू की इंट्री दो_दो बार था।
पहला सुबह 6:10 बजे। दूसरा 8:45 बजे। पहला इंट्री डॉ मनोज कुमार और दूसरा डॉ नीरज कुमार का था।
यहीं से सवाल उठा कि दूसरी इंट्री क्यों और कैसे और किस लिए हुई? जब मरीज 8:57 बजे बीम्स पावापुरी पहुंच गया था तो 8:45 में सदर अस्पताल में कैसे था? 12 मिनट में कोई एंबुलेंस नवादा से करीब 25 किलोमीटर दूर कैसे जा सकता है। साफ है कि फर्जी इंजरी के लिए यह सब जानबूझकर साजिशन किया गया।
देखें वीडियो_
सिविल सर्जन ने दिए जांच के आदेश
फर्जी इंजरी रिपोर्ट देने के मामले की जांच शुरू हो गई है। सोनी देवी पति संजय सिंह, ग्राम_ पकड़िया की शिकायत के बाद सिविल सर्जन ने डॉ प्रभाकर, डॉ एसडी अरैया और डॉ अजय कुमार की 3 सदस्यीय टीम गठित कर मामले की जांच का आदेश दे दिया है।
पुलिस इंस्पेक्टर सुजीत कुमार भी सवालों के घेरे में
इस मामले में नवादा अंचल के पुलिस निरीक्षक सुजीत कुमार भी सवालों के घेरे में हैं। इनपर आरोप है की तथ्यों की अनदेखी कर गलत पर्यवेक्षण रिपोर्ट तैयार किया।
इंस्पेक्टर साहब का खेल समझिए। इस कांड के आरोपित पक्ष की ओर से एसपी नवादा को 24 दिसंबर को एक पत्र दिया गया था। जिसमें गलत इंजरी रिपोर्ट बनवाने सहित फर्जी एफआईआर का जिक्र करते हुए सही जांच की मांग की गई थी। एसपी ने उस पत्र को पर्यवेक्षण पदाधिकारी यानी इंस्पेक्टर को भेज दिया था।
इंस्पेक्टर ने 21 दिसंबर 22 की तिथि में ही पर्यवेक्षण प्रतिवेदन को जारी कर दिया। जिसमें उक्त कांड के 7 आरोपितों में से 2 को दोषमुक्त करार दिया। जबकि 5 की गिरफ्तारी का आदेश दे दिया।
अब इंस्पेक्टर के पर्यवेक्षण रिपोर्ट पर भी विवाद उठ गया है। इंस्पेक्टर द्वारा 21 दिसंबर को ही जब पर्यवेक्षण प्रतिवेदन जारी कर दिया गया था, तब 24 दिसंबर को एसपी नवादा द्वारा भेजे गए पत्र का उल्लेख उसमें कैसे आया। इंस्पेक्टर ने अपने प्रतिवेदन में प्रतिरक्षा साक्ष्य में सोनी देवी के उस पत्र का जिक्र किया है, जिसमें इंजरी रिपोर्ट फर्जी होने का जिक्र किया गया है। हास्यास्पद, बात तो है कि 24 का पत्र 21 को ही इंस्पेक्टर को मिल गया था। जाहिर, है की एसपी को भी इस मामले में इंस्पेक्टर द्वारा नजर अंदाज किया गया।
मारपीट का है मामला
पूरा वाक्या नवादा जिले के मुफस्सिल थाना कांड संख्या 344/22 धारा 147/149/341/323/324/307/504 आईपीसी से जुड़ा है।
पकड़िया गांव के प्रिंस राज द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में कहा गया था की 6 दिसंबर की सुबह 4 बजे सुबह उसके पिता पिंटू सिंह उर्फ विद्याधर सिंह खलिहान गए थे। जहां हरवे हथिया से लैस होकर पहुंचे लगाए गांव के ही बबलू सिंह, संजय सिंह, कुणाल कुमार, रंजन कुमार, मुकेश कुमार आदि ने हमला कर दिया। राड से सिर पर हमला करने से गंभीर चोटें आई थी। मामला भूमि विवाद का था।
हालांकि, दूसरे पक्ष का कहना है कि धान की झरनी करने के दौरान मशीन में कपड़ा फंसने से वे जख्मी हुए थे। खैर, यह तो दोनों पक्षों का अपना अपना दावा है। लेकिन, पूरे मामले में सिस्टम के अंदर फैला भ्रष्टाचार पूरी तरह से नंगा होकर सामने आया है। इस सिस्टम में, गरीब और कमजोर के लिए न्याय पाना कितना मुश्किल है समझा जा सकता है।
मंत्री सहित उच्च अधिकारियों से शिकायत
डॉक्टर पर लगे आरोपों की जांच के लिए सिविल सर्जन द्वारा टीम गठित कर दिया गया है। वहीं, इंस्पेक्टर के खिलाफ भी जिला प्रभारी मंत्री समीर महासेठ सहित एसपी, आईजी मगध को शिकायत भेजी गई है।
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