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Nawada News : जांच और स्पष्टीकरण से आगे..., बचाने का खेल..., कप्तान की कार्यशैली..., सिर्फ सवाल ही सवाल...!



जांच और स्पष्टीकरण से आगे..., बचाने का खेल..., कप्तान की कार्यशैली..., सिर्फ सवाल ही सवाल...!

नवादा लाइव नेटवर्क। 

बिहार के नवादा जिले में जांच व स्पष्टीकरण के नाम पर कुछ अलग तो नहीं हो रहा है? क्या, गलत करने वाले अफसरों को संरक्षण देने के लिए सिर्फ कागजी खेल तो नहीं हो रहा है? धुआं है तो आग लगी ही होगी, इससे कोई कैसे इनकार कर सकता है। बात हो रही है पुलिस महकमे की।

आप भी समझिए...

पिछले 20 मई को अकबरपुर थानाध्यक्ष ने बगैर किसी वारंट या कागजात के 67 वर्षीय बुजुर्ग पत्रकार रविंद्र नाथ भैया को मानसिक रुप से प्रताड़ित करने और छवि को धूमिल करने के लिए गिरफ्तार कर हाजत में बंद कर दिया। उसी रात जबरन थाली थाना को हथकड़ी लगाकर सौंप दिया। हथकड़ी लगा तस्वीर भी वायरल किया गया।

थानाध्यक्ष ने मांगा निर्देश

थाली थाने में मौजूद रजौली पुलिस इंसपेक्टर की सलाह पर थानाध्यक्ष ने रात करीब 11 बजे एसपी से पत्रकार के विरुद्ध किसी प्रकार का कोई न्यायालय आदेश नहीं रहने का हवाला देते हुए दिशा निर्देश मांगा। 21 मई की सुबह करीब साढ़े दस बजे एसपी द्वारा न्यायालय ले जाने का आदेश थाली थानाध्यक्ष को दिया गया। 

न्यायालय ने की टिप्पणी

जिस केस में गिरफ्तारी हुई और कोर्ट में पेश किया गया उसकी कोई जानकारी पत्रकार को नहीं थी। रविवार का दिन था। शाम में मजिस्ट्रेट के समक्ष पत्रकार को जब प्रस्तुत किया गया तो उन्होंने प्रोविजनल वेल दे दिया। दो दिनों बाद जब स्थाई जमानत कोर्ट से मिली तो यह तथ्य सामने आया की इस केस में गोविंदपुर थाने को पूर्व में इश्तेहार भेजा गया था। जिसके तामिले का कोई साक्ष्य प्रस्तुत किए बगैर वापस लौटा दिया गया था। कोर्ट से स्थाई जमानत इन्हें मिल गई। ऐसे में पुलिस की इस प्रकरण में खूब किरकिरी हुई। 

पत्रकारों ने जताई आपत्ति

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिले के पत्रकारों ने 30 मई को एसपी को आवेदन दे अकबरपुर थानाध्यक्ष अजय कुमार के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की। 

दिया जांच का आदेश

 एसपी ने उक्त मामले में रजौली पुलिस निरीक्षक नियाज अहमद को जांच का आदेश दिया। लेकिन, 52_53 दिन बाद भी अबतक जांच और रिपोर्ट का क्या हुआ, किसी को पता नहीं है। इस मामले में एसपी को पत्रकारों के द्वारा ई मेल पर दोबारा ज्ञापन भेजा गया। दो_दो ज्ञापन और स्मार के बाद भी उसपर क्या एक्शन हुआ बताया नहीं गया।

आशंका, प्रबल है कि मामले को दबाने का काम किया जा रहा है। पीड़ित पत्रकार माने हैं कि इसके पीछे आरोपित अफसरों को बचाने की मंशा हो सकती है।

एक और मामले को जानिए

यह मामला थाली थाना से जुड़ा का है। थाने के निजी वाहन चालक को गोविंदपुर थानाध्यक्ष ने कुतरूचक से गिरफ्तार किया था। थाने में प्राथमिकी दर्ज कर जेल भेजा गया। बालू के अवैध धंधे से जुड़ा हुआ यह मामला है। उक्त मामले में पुलिस कप्तान द्वारा थानाध्यक्ष से स्पष्टीकरण की मांग की गई। क्या कार्रवाई हुई, अबतक सार्वजनिक नहीं हुआ है।

एक और दिलचस्प वाक्या

अकबरपुर थानाध्यक्ष अजय कुमार पर थाने से सटे चरवाहा विद्यालय के पास हरा शीशम का पेड़ काट लिए जाने का आरोप लगा था। काटे गए पेड़ और उससे बनाए जा रहे खाट पलंग की तस्वीर भी वायरल हुआ था। मीडिया में भी यह खबर सुर्खियों में रहा था। जांच की बात सामने आई थी। फरवरी 2023 का मामला हाई। क्या हुआ अबतक किसी को बताया नहीं गया। 

हां, एसपी ने अनौपचारिक बातचीत में मीडियाकर्मियों को कह दिया कि जिस स्थान पर पेड़ काटे जाने की बात थी, हमने स्पॉट देखा है, वहां तो पतला_पतला पेड़ है। अब पब्लिक समझें, हमारी कोई टिप्पणी नहीं होगी।

कितने मामलों में होगा गोल मोल, और पब्लिक...

अब बड़ा सवाल है कि कितने मामलों में इस प्रकार गोलमोल होता रहेगा। ऐसा ही होता रहा तो यह भी तय मानिए कि सिलसिला अंतहीन होगा। इससे किसकी छवि को आंच आएगी, जरा सोचिए! गलत कार्यों पर जितनी परदेदारी होगी, उसमें और भी इजाफा होता जायेगा। फिर पब्लिक की नजर में आपकी स्थिति क्या रह जायेगी? सवाल हैं तो जवाब लोग ढूंढेंगे ही और आज नहीं तो कल देना ही होगा। 

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